अतीत और वर्तमान की कड़ियों को मिलाकर एक सशक्त कथानक के निर्माण करने में कथाकार डाॅ० अर्चना प्रकाश को महारत हासिल है। लेखिका का प्रस्तुत कहानी संग्रह दुष्यंती फेरे इसका ज्वलंत उदाहरण है। संग्रह की मुख्य कहानी दुष्यंती फेरे लेखिका क सर्वश्रेष्ठ रचना है। इस कहानी में लेखिका ने नायक सिद्धांत और नायिका संजना को लेकर जिस ताने बाने को लेकर कथानक का सृजन किया है वो अभूतपूर्व है। लेखिका ने अपने संग्रह में उन तमाम सामाजिक मुद्दो को सजीवता से उठाया है जो समाज के लिए नासूर बनते जा रहे है। कहानी वापसी में अर्चना प्रकाश जी ने जिस तरह से लव जिहाद के मुद्दे को सजीव किया उसके लिए वे धन्यवाद की पात्र है। इसके अतिरिक्त कहानी उसके बाद में, उन्होनें सामूहिक बलात्कार की झकझोर देने कथानक का चित्रण किया है। समाज के अन्य मुद्दे जैसे-ढोंगी साधुओं पे भी जमक र प्रहार किया गया है। लेखिका की कहानी सिद्धिप्रभा स्त्री विमर्श के नए आयाम स्थापित करेगी।
कुल जमा अगर कहे दुष्यंती फेरे ऐसा कहानी संग्रह है जिसके पन्ने पलटते ही आप वर्तमान में अतीत को भी जिन्दा होते पाएंगे। मैने ऐसा ही किया और ये सचमुच अनोखा अनुभव है। अब आपकी बारी है।
शुभकामनाये।
Publisher : Onlinegatha
Edition : 1
ISBN : 978-93-83969-59-3
Number of Pages : 128
Weight : 300 gm
Binding Type : Paperback
Paper Type : Cream Paper(58 GSM)
Language : Hindi
Category : Fiction
Uploaded On : November 15,2016
Partners
:
Amazon ,
Paytm ,
shopclues ,
Flipkart ,
Snapdeal
डाॅ. श्रीमती अर्चना प्रकाश का जन्म ग्राम परौरी जिला उन्नाव में हुआ। गाँव में ही प्राथमिक विद्यालय से विद्यार्जन शुरू किया तो शिक्षा के उच्च स्तरों को प्राप्त करते हुए आपने एम०ए०, बी०एड०, तथा एम०डी०एच० की उपाधि प्राप्त की। मुख्यतः सद्ग्रहणी के दायित्वों को निभाने के साथ-साथ कान्वेन्ट विद्यालयों में प्रधानाचार्या पद को भी सुशोभित किया है।
साहित्य से पाठक की भूमिका में हुआ जुड़ाव लेखन की ओर मुड़ा और सार्थक लेखन सन् 1999 से शुरू हुआ। पहली पुस्तक ‘अर्चन करूँ तुम्हारा‘ सन् 2008 में प्रकाशित हुई। इसके बाद से कविता, कहानी व भक्ति काव्य की नौ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। डाॅ० अर्चना प्रकाश की कई कृतियों का प्रकाशन अभी शेष है। समसामयिक विषयों पर आपकी दृष्टि गहरी व पकड़ मजबूत है।